Thursday, December 8, 2011

हिंदी में कोलावरी डी


प्यार में इंतकाम क्यूं है??
वो जो दूर चांद चमक रहा है
यूं तो उसकी चांदनी मतवाली है
लेकिन ये रात बड़ी ही काली है
जिस तरह वो गोरी हसीना काले दिल वाली है
उससे नजरें मिलीं तो जिंदगी वीरान हो गई
अब तो बस मैं हूं और शराब है
आंखों में आंसू बेहिसाब हैं
इससे अच्छा होता जो मैं रहता अकेला
तू आई तो बन गई जिंदगी झमेला
मेरी महबूबा तूने मेरा प्यार ठुकराया
तेरी मासूम आवाज पर आज भी मेरा दिल आया
मैं मर-मर कर जिंदा हूं
फिर भी तू खुश है?
प्यार में नाकाम दिल यही गाता है
हमारे हाथ में कुछ भी नहीं आता है
फिर क्यू्ं प्यार में इंतकाम है??

(created at 12:00 pm, 9 Dec 11)

Friday, August 26, 2011

आज़ाद

हूं मैं आज़ाद लेकिन किस तरह आज़ाद कहिएगा!
कभी दो पल मेरे हालात पर कुछ गौर करिएगा,
उठे थे हाथ सबके तब मुझे आज़ाद करने को,
दबी आवाज क्यू्ं है आज मुझको फिर बचाने को?
हुए हो चौगुने तो 'मां' की ताकत घट रही क्यूं है?
उठे जब चौगुनी हुंकार, तब आज़ाद कहिएगा...

 2- लेकिन ये कहो...
मेहमान है भगवान, माना हमने लेकिन ये कहो,
घर उजाड़े जो उसे मेहमान कैसे रख लिया?
हो वतन के लाडलों, जो सच में तुम यारों अगर,
कसाब फिर दो दिन भी इस जमीं पे कैसे जी लिया!!

Friday, April 15, 2011

फालतू बातें...

मुझे नहीं कहना, मैंने क्या खोया, क्या पाया,
ना ही सुनना है कि तूने कैसे और कितना कमाया,
नहीं पूछना तूने कितने सुख-दुख झेले,
नहीं बताने अपनी जिंदगी के झमेले,

बता मुझे सूरज किस दरिया में डूब जाता है,
बारिश के लिए भगवान के पास इत्ता पानी कहां से आता है,
सतरंगी इंद्रधनुष के रंग क्यूं नहीं झरते हैं,
...चल न यार, आज फिर फालतू बातें करते हैं...

Sunday, February 6, 2011

कमाल का नोबेल


भाई वाह! नोबेल हो तो ऐसा. दुनिया भर में अपने खुलासों से खलबली मचाने वाली wikileaks को world 's greatest honour Nobel Prize के लिए nominate किया गया है. मज़े की बात तो यह है क़ि wikileaks को ये award 'शांति' बोले तो PEACE के लिए दिया जा रहा है. मुझे तो ये खबर पढ़कर बड़ा मज़ा आया. क्यूँ?  अरे भई इसलिए क़ि जाने कितने लोगों क़ि शांति भंग करके wikileaks इस सम्मान के योग्य बन पाई है. और तो और इसी nomination की बदौलत wikileaks के founder Julian Assange की मां का अपने बेटे के लिए प्यार फिर उमड़ा है. उनका कहना है क़ि जब उनके बेटे के कामों की दुनिया भर में प्रसंशा हो रही है तो फिर क्यूँ उसे परेशान किया जा रहा है.

सही है भई, बिलकुल सही है. काम तो उसने वाकई जबरदस्त किया है. कल मैं फिर BU की डेढ़ दशक पुरानी किताबों में से एक किताब लेकर बैठी. इस बार समाचार संकलन कला पढ़ रही थी. NEWS की एक definition पर नज़र गई. लिखा था क़ि जिसे कोई छुपाना चाहे वह समाचार है. तो भाई Julian Assange, आप इस कसौटी पर तो बिलकुल खरे उतरते हो. इसलिए आप ही इस युग के सच्चे पत्रकार हो जो बाकी पत्रकारों के कल्याण के लिए धरती पर अवतरित हुए हो. I wish क़ि nobel wikileaks के खाते में जाए. और कुछ नहीं तो कम से कम मुझे एक nobel prize winner का नाम तो ज़िन्दगी भर याद रहेगा.

Thursday, February 3, 2011

old is not so gold

अरे बाबा माना कि old is gold, लेकिन कुछ तो खयाल करो उन मासूमों का जो इसी ओल्ड material को पढकर exam देने की तैयारी में हैं. I am talking about the study material of Barakatullah University बोले तो BU of Bhopal. वो बात कुछ ऐसी है कि BU में MCJ through distance learning के exam 21 Feb से हैं. हमने भी ज्यादा सोच विचार किए बिना फॉर्म डाल दिया था. कुछ दिन पहले सोचा कि चलो पढाई कर ली जाए. विश्वसंचार की किताब पढ़ी तो कुछ शक हुआ की course पुराना है, कितना पुराना ये ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया. specialization journalism की book पढ़नी शुरू की तब पता चला की पूरे डेढ़ दशक पुराना course है.

कैसे? अमां मियां ऐसे, कि sports journalism वाला हिस्सा पढ़ा तो clear हुआ की ये भाईसाहब तो अब तक 1996 के worldcup पर ही अटके हैं. सचिन इनके लिए अभी भी उभरता सितारा हैं तो धोनी और यूसुफ की बात करना ही बेमानी होगी. इनकी गाड़ी तो DD1 से आगे बढ़ी ही नहीं, तो कहाँ ten sports और कहाँ star sports. हमने तो सोचा था की कुछ पढ़कर नैया पार लग जाएगी लेकिन अब तो बस मन यही गुनगुनाता है-

बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बली कृपा की लगा देना...

Thursday, January 20, 2011

आज शाम


आज शाम सूरज दिखा
सुर्ख लाल
जाने किसने पानी उड़ेल दिया था उस पर
सुर्ख लाली उसके दायरे से फ़ैल कर बाहर जा रही थी
न जाने किस बादल की शरारत थी ये
वो जो खुद उस रंग में रंग गया था
या कोई और जो पानी गिराकर उड़ गया था
शरारत किसी की भी हो पर सूरज नाराज नहीं था
वो तो अपना रंग खोकर भी मुस्कुरा रहा था
आज शाम सूरज दिखा
सुर्ख लाल...