अरे बाबा माना कि old is gold, लेकिन कुछ तो खयाल करो उन मासूमों का जो इसी ओल्ड material को पढकर exam देने की तैयारी में हैं. I am talking about the study material of Barakatullah University बोले तो BU of Bhopal. वो बात कुछ ऐसी है कि BU में MCJ through distance learning के exam 21 Feb से हैं. हमने भी ज्यादा सोच विचार किए बिना फॉर्म डाल दिया था. कुछ दिन पहले सोचा कि चलो पढाई कर ली जाए. विश्वसंचार की किताब पढ़ी तो कुछ शक हुआ की course पुराना है, कितना पुराना ये ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया. specialization journalism की book पढ़नी शुरू की तब पता चला की पूरे डेढ़ दशक पुराना course है.
कैसे? अमां मियां ऐसे, कि sports journalism वाला हिस्सा पढ़ा तो clear हुआ की ये भाईसाहब तो अब तक 1996 के worldcup पर ही अटके हैं. सचिन इनके लिए अभी भी उभरता सितारा हैं तो धोनी और यूसुफ की बात करना ही बेमानी होगी. इनकी गाड़ी तो DD1 से आगे बढ़ी ही नहीं, तो कहाँ ten sports और कहाँ star sports. हमने तो सोचा था की कुछ पढ़कर नैया पार लग जाएगी लेकिन अब तो बस मन यही गुनगुनाता है-
बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बली कृपा की लगा देना...
कैसे? अमां मियां ऐसे, कि sports journalism वाला हिस्सा पढ़ा तो clear हुआ की ये भाईसाहब तो अब तक 1996 के worldcup पर ही अटके हैं. सचिन इनके लिए अभी भी उभरता सितारा हैं तो धोनी और यूसुफ की बात करना ही बेमानी होगी. इनकी गाड़ी तो DD1 से आगे बढ़ी ही नहीं, तो कहाँ ten sports और कहाँ star sports. हमने तो सोचा था की कुछ पढ़कर नैया पार लग जाएगी लेकिन अब तो बस मन यही गुनगुनाता है-
बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बली कृपा की लगा देना...
tum exam me kuch aaj ke time ka mat likhna ,,, vo papaer chek karne ke liye bhi us woqt me mar chuke logon ko hi bulaane vale hain
ReplyDeleteजब परीक्षा देने की शुभ घड़ी करीब आई तो किताबों का ख्याल आया। चलो बेचारी पड़ी-पड़ी जंग खा रही होंगी। एक बार पलट लेते हैं। इसी तलाश से आपके विचार उपजे हैं। जिनसे मै भी सहमत हूं। उन किताबों को मैने भी पलटा था।
ReplyDeleteजिसे बिना किसी लेखक के नाम के केवल विश्वविद्यालय के नाम पर छापा गया है। भाषागत गलतियां इतनी हैं कि एडिटिंग की किताब की भी एडिटिंग करने को पत्रकार मन मचल पड़ता है।
लेकिन कोई क्या करे और भी तो काम हैं। जिनको करने के लिए समय देना पड़ता है। तो एडिटिंग का इरादा छोड़ लग गयो बाकी सारे कामों में जो ज्यादा जरुरी लग रहे थे। व्यावहारिक अनुभव को सैद्धान्तिक प्रस्तुति से परीक्षा के मैदान की जंग जीतने का इरादा कर लिया।
तत्सम शब्दावली में लिखी उन किताबों को प्रणाम किया कि आपका लेखन तो जैसे-तैसे हो गया मगर आपको पढऩे के लिए किसी प्रकांड विद्वान की जरुरत पड़ेगी।
मुझ जैसा सामान्य आदमी आपको समझने में खुद को अक्षम पाता है। आपके उच्च स्तर के ज्ञान से फायदा उठाने की बजाय मुझे नुकसान ही होगा। all the best.