Friday, August 26, 2011

आज़ाद

हूं मैं आज़ाद लेकिन किस तरह आज़ाद कहिएगा!
कभी दो पल मेरे हालात पर कुछ गौर करिएगा,
उठे थे हाथ सबके तब मुझे आज़ाद करने को,
दबी आवाज क्यू्ं है आज मुझको फिर बचाने को?
हुए हो चौगुने तो 'मां' की ताकत घट रही क्यूं है?
उठे जब चौगुनी हुंकार, तब आज़ाद कहिएगा...

 2- लेकिन ये कहो...
मेहमान है भगवान, माना हमने लेकिन ये कहो,
घर उजाड़े जो उसे मेहमान कैसे रख लिया?
हो वतन के लाडलों, जो सच में तुम यारों अगर,
कसाब फिर दो दिन भी इस जमीं पे कैसे जी लिया!!

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