Saturday, October 2, 2010

अपनी कमाई


भागते हैं सब, कोई रुकता नही
ऊँचे हैं सभी, कोई झुकता नही
तुम कौन हो, नही
तुम क्या हो, सही,
फीलिंग-वीलिंग तो यहाँ टिकती ही नही,
कौन आता है, जाता है
कुछ भी नहीं,
कौन कैसे बनाता है, कुछ भी नहीं.
है मेला कोई, पर अनोखा नहीं,
इसका कोई भी पहलु है चोखा नहीं.
है बनावट मगर वो ही सच है यहाँ,
बस खबर का कैरेक्टर ही बिकता यहाँ.
बचना चाहोगे तो फिर किधर जाओगे,
लाख भागोगे प्यारे इधर आओगे.
कूटनीति, राजनीति का भंडार है,
भैया, अपनी कमाई तो अख़बार है...