Friday, April 15, 2011

फालतू बातें...

मुझे नहीं कहना, मैंने क्या खोया, क्या पाया,
ना ही सुनना है कि तूने कैसे और कितना कमाया,
नहीं पूछना तूने कितने सुख-दुख झेले,
नहीं बताने अपनी जिंदगी के झमेले,

बता मुझे सूरज किस दरिया में डूब जाता है,
बारिश के लिए भगवान के पास इत्ता पानी कहां से आता है,
सतरंगी इंद्रधनुष के रंग क्यूं नहीं झरते हैं,
...चल न यार, आज फिर फालतू बातें करते हैं...