Saturday, October 2, 2010

अपनी कमाई


भागते हैं सब, कोई रुकता नही
ऊँचे हैं सभी, कोई झुकता नही
तुम कौन हो, नही
तुम क्या हो, सही,
फीलिंग-वीलिंग तो यहाँ टिकती ही नही,
कौन आता है, जाता है
कुछ भी नहीं,
कौन कैसे बनाता है, कुछ भी नहीं.
है मेला कोई, पर अनोखा नहीं,
इसका कोई भी पहलु है चोखा नहीं.
है बनावट मगर वो ही सच है यहाँ,
बस खबर का कैरेक्टर ही बिकता यहाँ.
बचना चाहोगे तो फिर किधर जाओगे,
लाख भागोगे प्यारे इधर आओगे.
कूटनीति, राजनीति का भंडार है,
भैया, अपनी कमाई तो अख़बार है...

Thursday, September 16, 2010

change

शहर के कायदे चलते थे उनके नाम से
जो नाम बदला है तो कायदे भी बदल जायेंगे...

(BCB chief procter Dr Joga Singh Hothi has resigned after 16 years service.)

Friday, September 10, 2010

ये खोखला शहर...


सब बातें करते हैं, हँसते भी हैं
मजाक का सिलसिला भी कुछ-कुछ वैसा ही है
जन्माष्टमी मनाई है, ईद भी मना रहे हैं
मगर ये शहर खोखला हो चुका है
आत्मा मर चुकी है या बेहोश है
नहीं जानती इतना ज्यादा
मगर दोनों ही हालात में ये शहर बस एक शरीर ही बचा है
इस शरीर को बचाने की लोग कोशिश कर रहे हैं
या ये बस एक दिखावा भर है
नहीं जानती इतना ज्यादा
मगर दोनों ही हालात  में
लोगों को हालत के भारीपन का अंदाजा है
पता नहीं ये घाव कब भरेंगे या शक है क़ि भरेंगे ?
मगर दोनों ही हालात में ज़ख़्मी तो हुआ है शहर
लोग कपड़े खरीद रहे हैं और मिठाइयाँ भी
साथ में कर्फ्यू पास बनवाने के जुगाड़ में हैं
जैसे मान बैठे हों क़ि इस त्योहार के बाद भी दंगा हो जायेगा
इस बार ये शहर जला तो राख हो जायेगा, क्योंकि
ये शहर खोखला हो चुका है...

जीवन चक्र

"जीवन चक्र है तो एक पथ पर क्यों नहीं चलता गुजरा हुआ लम्हा दुबारा क्यों नहीं मिलता..."

Saturday, August 21, 2010

राखी

हर रिश्ते की झलक है
ये प्यारा सा रिश्ता
माँ की ममता
बाप का दुलार
सब कुछ तो इस बंधन के छोटे-छोटे हिस्से हैं
तभी तो सबसे निराले राखी के किस्से हैं
इस रिश्ते के तो सभी रंग प्यारे लागे हैं
इन्ही कड़ियों से बने राखी के धागे हैं...
हैपी राखी :)

I Say...

Hi to all
I say coz I hv smthing to say. wl start wd ths little poem

कह सकते हो...

विचारों को शब्दों के कपडे पहनाकर
दुनिया के सामने लाओ
बताओ क्या सोचते हो
जताओ जो कहना है
क्यूंकि तुम कह सकते हो...