Saturday, August 21, 2010

I Say...

Hi to all
I say coz I hv smthing to say. wl start wd ths little poem

कह सकते हो...

विचारों को शब्दों के कपडे पहनाकर
दुनिया के सामने लाओ
बताओ क्या सोचते हो
जताओ जो कहना है
क्यूंकि तुम कह सकते हो...

4 comments:

  1. खुद की कैद से बाहर निकलो. अगर चलने का इरादा है तो राहें पकड़ो. जब कुछ कहने की ललक हो ही गयी है तो कोई सुनने वाला पकड़ो अगर वो भी न मिले तो अपनी कलम पकड़ो और लिखना शुरू करो. और जब मौका मिले तो साझा करो अपनों से सुनने वालों की कमी नही रहेगी. पर हम लिखते हैं, रोज औरों के लिए कभी तो खुद के लिए लिखना होगा. वरना अगर कोई पूछ बैठा , तो क्या कहेंगे? औरों के लिए लिखते रहे , लेकिन खुद के लिए वक्त की कमी रह गयी. अरे बस इतना ही लिखा है कुछ और लिखो...अभी तो सफ़र शुरू किया है और अभी आराम फरमाने लगे. क्या बात है? हौसले की कमी है या हौसलाफजाई की अगर बात इन दोनों की है तो इस पर सोचा जाए और अगर वक्त की कमी का बहाना तो फिर मिल-बैठ के रोया जाए.

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  2. Tripti.. Dilme ek khayal hai.. Ek sapna hai.. Agar is dunia se money ko hata diya jaye to kya hoga?? Socha hai kabhi? Socho.. I want to start a thought provoking discussion on this subject.. Can we start writing about it?

    ***Can you please edit permissions in your blog to make me a co-author? just like i did in my blog? and your dada too.. :)

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    1. pahle bhi to aisa hi tha...no money,,, saman ke badle saman

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